The original story :1.ईला can be read here The original story -1 This story is a tribute to #InternationalWomen'sDay. मुहल्ले के लोगों ने उसका नाम गोर्की रख दिया | अस्पताल से जैसे ही आयी ,देखने वालों का एक तांता सा लग गया | बड़े दिनों बाद अस्पताल से कोई बेटी आयी थी | वक़्त ढलता गया और गोर्की वक़्त के साथ डूबती गयी | सबकुछ ठीक चल रहा था की अचानक एक दिन गोर्की ने कहा " मम्मी , मेरे सारे दोस्त कोचिंग जा रहे हैं , मुझे भी इंजीनियर बनना है , इतनी अच्छी तो मैथ्स है मेरी " | गोर्की दसवीं पास करने से बस कुछ कदम दूर थी ,और उसने पूरा मन बन लिया था दोस्तों के साथ कोई अच्छी कोचिंग ज्वाइन करने का | मम्मी उस वक़्त तो कुछ नहीं बोली ,खैर रात को डिनर टेबल पे फिर से बात चली | गोर्की अपने तस्सबुर के कैनवास की अकेली मालिकिन थी | इतनी आसानी से अपने सपने को डूबने कैसे देती |गोर्की मम्मी की ख़ामोशी भांप चुकी थी फिर भी एक बार और पूछने में क्या जाता था | डिनर टेबल पे मम्मी खामोश ही रही खैर जाते जाते उन्होंने कहा " चलो तुम्हारी जिद है तो एक ट्यूटर आ जाया करेगा पढ़ाने ,वैसे