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Showing posts from May, 2014

Kgp and Bikes

अपने अपने होम टाउन में तो पूछता भी नहीं कोई | अब वो जमाना भी लद गया जब बाइक के साथ फोटो अपलोड करते थे तो थोड़ा एडवांटेज मिलता था | परन्तु इस बदलते दौड़ में भी खड़गपुर में बाइक चलाने का वजूद  बरक़रार है , शायद बढ़ता जा रहा है | ऐसा लगता है  जैसे पंक्तियों में खड़े युकलिप्टस स्टैंडिंग ओवेशन (standing ovation) दे रहे हों |मुट्ठी में चाभी को भींचे जब टिक्का में घुसते हैं ,तो साथ में तूफ़ान सा चलता है| बालों की कशिश देख कर कोई बेझिझक बता सकता है , आज हवा का रुख किस तरफ है |थोड़ा गैर -संबैधानिक(illegal) जरूर है , लेकिन है सेक्सी ||

आप और हम-2

थोड़ा इश्क़ , थोड़ी बेकरारी इधर भी है ,और उधर भी  सुबह से सांस ऐसे खींच रही है जैसे  सहतूत से रेशम खींच रहा हो | दिन और रात ऐसे चढ़ रहा है जैसे  सूरज की लाश पे कोई एहसान का दुपट्टा चढ़ा रहा हो | आखिर कब तक बेहोशी का नाटक करता सूरज || आप और हम किसी सतरंज की बिसात से कम नहीं  थोड़ा इश्क़ , थोड़ी बेकरारी इधर भी है ,और उधर भी  खैर  काफी कुछ दावं पे लगा के  थोड़ा समझौता आपने भी किया है ; थोड़ा हमने भी | कुछ तो नहीं है ; फिर इतना कुछ क्यों ? पता नहीं ||