कहा जाता है , पुरवा हवा का झोंका , पुराने दर्द बढ़ा देता है ;
जमींदारी प्रथा और उस दौड़ में जमींदारों द्वारा नीचले किसानों के प्रति अपनाये गए रवैये को पढ़ते पढ़ते , ऐसा एहसास हुआ की , हर एक सख्स अपने आने वाली पीढ़ी को कुछ न कुछ विरासत में देता है | कोई गुलिस्तां देता है , कोई मकां देता है ; ये सब शायद वे लोग हैं , जिन्होनें अपने बच्चों को सितम की दास्ताँ दी है |
ठाकुर , तुम्हारे जख्मों का नाम -ओ - निशां कुछ ऐसा है |
जब भी पुरवाई चलती है मेरा बच्चा रोने लगता है ||
जमींदारी प्रथा और उस दौड़ में जमींदारों द्वारा नीचले किसानों के प्रति अपनाये गए रवैये को पढ़ते पढ़ते , ऐसा एहसास हुआ की , हर एक सख्स अपने आने वाली पीढ़ी को कुछ न कुछ विरासत में देता है | कोई गुलिस्तां देता है , कोई मकां देता है ; ये सब शायद वे लोग हैं , जिन्होनें अपने बच्चों को सितम की दास्ताँ दी है |
ठाकुर , तुम्हारे जख्मों का नाम -ओ - निशां कुछ ऐसा है |
जब भी पुरवाई चलती है मेरा बच्चा रोने लगता है ||
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