मैं
सिगरेट तो नहीं पीता
खैर
इत्तेफ़ाक़ से लाइटर रखता हूँ |
वो एक लाइटर
जो कोई मेरे टेबल पे छोड़ गया था ;
सबो - रात साथ साथ चलता है |
जाने अनजाने
किसी चौराहे
माचिस की कश्मकश में भटकते
दो एक आवारे मिल जाते हैं,
मैं लाइटर बढ़ा देता हूँ |
बड़ा सुकून है इसमें
किसी को बेपनाह जलते देखना
और
फिर चुप चाप निकल जाना ,
नए हमनवा की तलाश में ||
शायद
लाइटर के साथ साथ
कोई एक नैतिक जिम्मेदारी छोड़ गया है
इसे जलाते रहने का
इसे जंग से बचाने का |
काफी कुछ पेट्रोलियम कैद है
उन्मुक्ति की उम्मीद लिए ;
क्या पता
ऐसे ही मिट जाए धरा का अँधेरा
इन नन्हीं नन्हीं चिंगड़ियों से ||
सिगरेट तो नहीं पीता
खैर
इत्तेफ़ाक़ से लाइटर रखता हूँ |
वो एक लाइटर
जो कोई मेरे टेबल पे छोड़ गया था ;
सबो - रात साथ साथ चलता है |
जाने अनजाने
किसी चौराहे
माचिस की कश्मकश में भटकते
दो एक आवारे मिल जाते हैं,
मैं लाइटर बढ़ा देता हूँ |
बड़ा सुकून है इसमें
किसी को बेपनाह जलते देखना
और
फिर चुप चाप निकल जाना ,
नए हमनवा की तलाश में ||
शायद
लाइटर के साथ साथ
कोई एक नैतिक जिम्मेदारी छोड़ गया है
इसे जलाते रहने का
इसे जंग से बचाने का |
काफी कुछ पेट्रोलियम कैद है
उन्मुक्ति की उम्मीद लिए ;
क्या पता
ऐसे ही मिट जाए धरा का अँधेरा
इन नन्हीं नन्हीं चिंगड़ियों से ||
As always Behtareen kavita :-)
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