बस की याद आता है वो स्कूली अफ़साने कुमार
एक आध तंज ऐ तमाचे पे रोया करते थे जार जार | |
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अब की जिंदगी के दौड़ का आलम ऐसा है
जान जाती है , आँखों में नमी आती नहीं | |
सारी तितलियाँ जिनके तलब दुपहरी गुजरती थी
रोज़ नज़र आते हैं , लबों पे हंसी आती नहीं | |
यूँ ही कभी बेवजह याद किया करो जाना
तुम्हें याद आती नहीं , मुझे दिलकशी आती नहीं | |
वो सारी लकीरें जो हमने मिलकर खींची थी
तुमने कभी गिना नहीं , मुझे गिनती आती नहीं | |
कब तलक जिएंगे जख्म ऐ चारागरी की तलाश में
रहम की गुंजाईश नहीं , मुझे विनती आती नहीं | |
एक आध तंज ऐ तमाचे पे रोया करते थे जार जार | |
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अब की जिंदगी के दौड़ का आलम ऐसा है
जान जाती है , आँखों में नमी आती नहीं | |
सारी तितलियाँ जिनके तलब दुपहरी गुजरती थी
रोज़ नज़र आते हैं , लबों पे हंसी आती नहीं | |
यूँ ही कभी बेवजह याद किया करो जाना
तुम्हें याद आती नहीं , मुझे दिलकशी आती नहीं | |
वो सारी लकीरें जो हमने मिलकर खींची थी
तुमने कभी गिना नहीं , मुझे गिनती आती नहीं | |
कब तलक जिएंगे जख्म ऐ चारागरी की तलाश में
रहम की गुंजाईश नहीं , मुझे विनती आती नहीं | |
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