पूरे दिन से लम्हा लम्हा चुरा कर उसने एक लेटर तैयार किया था| लफ्ज़ -लफ्ज़ को माणी के माफिक कच्चे से धागे में पिरोया था | नीचे फुटनोट में लिखा था : " धागे कच्चे हैं ,कमजोर नहीं |" एक वक़्त के लिए तो लगा : किसी ने एक पूरा कलेण्डर टांग दिया है लेटर में | कुछ डेट्स पे एक लाल घेरा लगा के लिखा था " इस तारीख को बचा कर रखना , सेव द डेट " कुछ डेट्स के किनारे किनारे महीन नन्हें से लफ्ज़ बुने थे " चलो ना चाँद का एक टुकड़ा तोड़ के तुम्हें खिलाएं "|| कहीं कहीं कुछ नीले स्याह कट के निशान थे कुछ खामोश से लफ्ज़ थे ; कोई पढ़ ना पाये | कहीं कहीं एक दो नज़्म पिन किये गए थे , जंग (रस्ट ) के कुछ निशान आ गए थे शायद पिछली बारिस की बात होगी | लिखा था : " जैसे एक स्टेनलेस स्पून , छिटक के गिर गया हो हाथों से ; तेरी मध्यान सी साँस ,अटक आयी है होठों पे ; कब तक खींचता रहूँ ,मैं तारीखों में तुझे आ फलक से उतर कर मेरी जमीं पर तो आ ||" कुछ कहानियों को पेस्ट करके लिफाफों में रख दिया था | डेट डाल के लिख रखा था " कु...