अगर आपने आस पास के हम उम्रों को गौर से देखा होगा, तो समझा होगा की इश्क़ और प्यार की बातें वो लोग कभी नहीं करते जो इश्क़ में होते हैं, तब तक तो नहीं ही करते जब तक इश्क़ में होते हैं | क्यूंकि जब आप इश्क़ में होते हैं तब ये बस एक जीने का जरिया होता है , एक व्यस्त रहने मात्र की कारीगरी होती है और अगर इश्क़ में डूबते हैं तो ये आपकी ख़ुशी हंसी और जिंदगी होती है | लेकिन इश्क़ प्रदर्शन के कहीं ज्यादा दर्शन का विषय है | ये आपको तब समझ में आता है , जब आप इश्क़ में टूटते हैं, बिखरते हैं और एक बार फिर से तनहा होते हैं | हमारी अभिव्यक्ति और प्रदर्शन के बीच की रस्साकस्सी से जन्म लेती है ये एक तन्हाई | तन्हाई चिरंतन है और एक निर्भीक सत्य है , शायद इसीलिए ये आपको इश्क़ जैसे नामचीन लफ्ज़ को समझने की हिम्मत देता है |
इश्क़ एक बार करिये जरूर, कुछ भी है बुरी चीज़ नहीं है | पूरी जिंदगी शतरंज का खेल खेलते खेलते हम इस एहसास में खो जाते हैं की वो जो हमारा शत्रु है , कहीं बाहर है , हम सफ़ेद मोहरे हैं तो वो स्याह मोहरा है , हम स्याह मोहरे हैं तो वो सफ़ेद मोहरा है | इश्क़ हमें एहसास दिलाता है की हमारे चलचित्र का विलन हमारे अंदर ही है| वो जो हमें सरे आम नीलाम करता हैं, वो जो हमें अपने घुटने पे लाता है , हमारे अंदर है | हम अपने विलन खुद हैं |
इसीलिए एक बार करिये जरूर इश्क़ | ये आपको एक मौका देता है खुद के तलाश की | बहुत कुछ पहली बार होता है | आप पहली बार अपने ईगो से मिलते हैं | पहली बार आप समझते हैं की आपके पजेसिवनेस की आखिरी बिंदु क्या है | इश्क़ आपके हदों को तलाशता है | आपकी जिंदगी के हर एक संवेदना का उच्चतम और निम्नतम बिंदु परिभाषित करता है इश्क़ | अगर आप थोड़ी बहुत गणित समझते हैं तो आप ये समझ सकते हैं की जिंदगी का डोमेन कुछ भी हो , जिंदगी का रेंज इश्क़ तय करता है | लेकिन ये सारी बातें आप तब नहीं समझ सकते जब आप इश्क़ में होते हैं । वो लम्हा पहली बारिश के एहसास का और पहली बसंत के आभास का लम्हा होता है , वो प्रदर्शन का लम्हा होता है |
जब शाम आती है, इश्क़ टूटता है, चेहरे धुंधले होने लगते हैं | हो भी क्यों ना , हम एक दूसरे को जितना ज्यादा जानेंगे, एक दूसरे के विलन से उतना ही ज्यादा रूबरू होते हैं | फिर जिस पल इश्क़ में प्रदर्शन ख़त्म होता है , उसी एक पल से इश्क़ दर्शन का विषय बन जाता है| इसीलिए इश्क़ कीजिये , जरूर कीजिये और फिर धुंधले चेहरे के लिए भी तैयार रहिये | इश्क़ में कवि बनिए, कोविद बनिए , इश्क़ में सजर होइए , बेखबर होइए | इश्क़ में शहर होइए, शहीद मत होइए | जिस दिन चेहरे धुंधले हो जाएँ, अपनी तन्हाई के आईने में इसे संवारने वापस आइये | तन्हाई उतनी भी बेजार नहीं , हाँ थोड़ी अंडर रेटेड जरूर है |
इश्क़ एक बार करिये जरूर, कुछ भी है बुरी चीज़ नहीं है | पूरी जिंदगी शतरंज का खेल खेलते खेलते हम इस एहसास में खो जाते हैं की वो जो हमारा शत्रु है , कहीं बाहर है , हम सफ़ेद मोहरे हैं तो वो स्याह मोहरा है , हम स्याह मोहरे हैं तो वो सफ़ेद मोहरा है | इश्क़ हमें एहसास दिलाता है की हमारे चलचित्र का विलन हमारे अंदर ही है| वो जो हमें सरे आम नीलाम करता हैं, वो जो हमें अपने घुटने पे लाता है , हमारे अंदर है | हम अपने विलन खुद हैं |
इसीलिए एक बार करिये जरूर इश्क़ | ये आपको एक मौका देता है खुद के तलाश की | बहुत कुछ पहली बार होता है | आप पहली बार अपने ईगो से मिलते हैं | पहली बार आप समझते हैं की आपके पजेसिवनेस की आखिरी बिंदु क्या है | इश्क़ आपके हदों को तलाशता है | आपकी जिंदगी के हर एक संवेदना का उच्चतम और निम्नतम बिंदु परिभाषित करता है इश्क़ | अगर आप थोड़ी बहुत गणित समझते हैं तो आप ये समझ सकते हैं की जिंदगी का डोमेन कुछ भी हो , जिंदगी का रेंज इश्क़ तय करता है | लेकिन ये सारी बातें आप तब नहीं समझ सकते जब आप इश्क़ में होते हैं । वो लम्हा पहली बारिश के एहसास का और पहली बसंत के आभास का लम्हा होता है , वो प्रदर्शन का लम्हा होता है |
जब शाम आती है, इश्क़ टूटता है, चेहरे धुंधले होने लगते हैं | हो भी क्यों ना , हम एक दूसरे को जितना ज्यादा जानेंगे, एक दूसरे के विलन से उतना ही ज्यादा रूबरू होते हैं | फिर जिस पल इश्क़ में प्रदर्शन ख़त्म होता है , उसी एक पल से इश्क़ दर्शन का विषय बन जाता है| इसीलिए इश्क़ कीजिये , जरूर कीजिये और फिर धुंधले चेहरे के लिए भी तैयार रहिये | इश्क़ में कवि बनिए, कोविद बनिए , इश्क़ में सजर होइए , बेखबर होइए | इश्क़ में शहर होइए, शहीद मत होइए | जिस दिन चेहरे धुंधले हो जाएँ, अपनी तन्हाई के आईने में इसे संवारने वापस आइये | तन्हाई उतनी भी बेजार नहीं , हाँ थोड़ी अंडर रेटेड जरूर है |
great ....
ReplyDeletesalute to...anupam da
Thank you =D
DeleteBahut khub !
ReplyDeleteDhanyawaad
Deletewow :)
ReplyDeleteThanks
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