सुना आपने
एक माचिस तिल्ली को
किसी ने चिंगारी दे दी ।
जल उठा।
उन्होंने कहा
"वक़्त दो वक़्त में phosphorous जलेगा,
फिर काठी जलेगी ,
और फैसला आते आते राख बचेगा ।"
और आज
मशाल बन के दौड़ रहा है
वो दिल्ली के गलियारों में ।
अहंकारों के राख बिछे हैं सड़कों पे ।।
सुबह सुबह मैंने भी काफी ट्वीट रीट्वीट का मज़ा लिया जैसे
१.BJP को अपनी हार की अर्थी उठाने के लिए भी AAP से एक बंदा उधार मांगने की नौबत आ गयी है ॥ #आपस्वीप
२. #AAPKiDilli
once upon a time in mumbai का डायलाग याद आता है |"हमारी पार्टी अगर राजनीती में आ गयी तो आपकी पार्टी कौड़ियों के भाव बिक जायेगी "
३.शाहनवाज़ हुसैन रॉक्स
कुछ तो मजबूरियां रही होगी यूं ही कोई बेवफा नहीं होता
#आपकीदिल्ली
जमाने के साथ राजनीती में भी काफी कुछ बदला है |
इतना तो तय है , की दिल्ली वालों ने पूरे दिल से अरविन्द जी को अपनाया है |तो लगे हाथ ,जो सारे पुराने जीन्स के कपड़े हैं , काट कर दो चार झोले आप भी सिलवा लीजिये | काफी कुछ आने वाला है , फ्री पानी , फ्री बिजली , फ्री वाई फाई और पता नहीं क्या कुछ | ये बात और है , की कुछ हम जैसे लिबरल इकोनॉमिक्स स्कूली सोच वाले , इस नेहरू नुमा समाजवाद से सक्षम नहीं हो पाते , खैर अरविन्द जी की सख्सियत और तरीके से बेइंतेहा मुहब्बत करते है |और अंदर ही अंदर एक सशक्त वैकल्पिक राजनीती के वास्ते दुआएं भी मांगते हैं | भारतीय संबैधानिक राजनीति इसी तरह चलती आई है , और चलनी भी चाहिए | दिल्ली की रफ़्तार तो आने वाला वक़्त बताएगा , लेकिन इतना तो तय है की ५ साल के इस समाजवाद में दिल्ली के लिए काफी गुंजाईश है ,वो भी बे रोक टोक |
ये ६० साल से चले आ रहे लॉयल अर्थात वफादारी वाली राजनीती के गाल पर एक बेजोड़ थप्पड़ है | शायद इसलिए की अब हम पुराने बलिदानों , और प्रतीकों के नाम पर अपना वोट नहीं देते | ये एक नयी आवाम है जिसने ना ही संघ का उदय देखा है , ना ही १९४२ की जंग देखी है , ना ही बाबरी को नज़दीक से महसूस किया है , ना ही इमरजेंसी देखी है | इस आवाम की सोच इन सब से स्वतंत्र है ,इसीलिए ये आवाम किसी का नहीं | ये काफी खुसनुमा है , खूबसूरत है और क्रांतिकारी है | साथ ही साथ परफॉर्म ऑर पेरिश का परिचालक भी है |
मुझे नहीं मालुम बर्नार्ड शॉ कितना सही था जब उसने ये कहा था
" IF fifty million people talk about stupidity , it still remains a talk of stupidity ."
या फिर दिल्ली सही है |
अब जो है सो है , दिल्ली ने अपना मुख्यमंत्री चुन लिया है , बेहतर होगा अरविन्द जी को मुख्यमंत्री ही माना जाए , मसीहा या भगवान नहीं |
जो भी हो , ये चुनाव इतना ऐतिहासिक तो जरूर था की एक ब्लॉग लिखा जा सके |
एक माचिस तिल्ली को
किसी ने चिंगारी दे दी ।
जल उठा।
उन्होंने कहा
"वक़्त दो वक़्त में phosphorous जलेगा,
फिर काठी जलेगी ,
और फैसला आते आते राख बचेगा ।"
और आज
मशाल बन के दौड़ रहा है
वो दिल्ली के गलियारों में ।
अहंकारों के राख बिछे हैं सड़कों पे ।।
सुबह सुबह मैंने भी काफी ट्वीट रीट्वीट का मज़ा लिया जैसे
१.BJP को अपनी हार की अर्थी उठाने के लिए भी AAP से एक बंदा उधार मांगने की नौबत आ गयी है ॥ #आपस्वीप
२. #AAPKiDilli
once upon a time in mumbai का डायलाग याद आता है |"हमारी पार्टी अगर राजनीती में आ गयी तो आपकी पार्टी कौड़ियों के भाव बिक जायेगी "
३.शाहनवाज़ हुसैन रॉक्स
कुछ तो मजबूरियां रही होगी यूं ही कोई बेवफा नहीं होता
#आपकीदिल्ली
जमाने के साथ राजनीती में भी काफी कुछ बदला है |
इतना तो तय है , की दिल्ली वालों ने पूरे दिल से अरविन्द जी को अपनाया है |तो लगे हाथ ,जो सारे पुराने जीन्स के कपड़े हैं , काट कर दो चार झोले आप भी सिलवा लीजिये | काफी कुछ आने वाला है , फ्री पानी , फ्री बिजली , फ्री वाई फाई और पता नहीं क्या कुछ | ये बात और है , की कुछ हम जैसे लिबरल इकोनॉमिक्स स्कूली सोच वाले , इस नेहरू नुमा समाजवाद से सक्षम नहीं हो पाते , खैर अरविन्द जी की सख्सियत और तरीके से बेइंतेहा मुहब्बत करते है |और अंदर ही अंदर एक सशक्त वैकल्पिक राजनीती के वास्ते दुआएं भी मांगते हैं | भारतीय संबैधानिक राजनीति इसी तरह चलती आई है , और चलनी भी चाहिए | दिल्ली की रफ़्तार तो आने वाला वक़्त बताएगा , लेकिन इतना तो तय है की ५ साल के इस समाजवाद में दिल्ली के लिए काफी गुंजाईश है ,वो भी बे रोक टोक |
ये ६० साल से चले आ रहे लॉयल अर्थात वफादारी वाली राजनीती के गाल पर एक बेजोड़ थप्पड़ है | शायद इसलिए की अब हम पुराने बलिदानों , और प्रतीकों के नाम पर अपना वोट नहीं देते | ये एक नयी आवाम है जिसने ना ही संघ का उदय देखा है , ना ही १९४२ की जंग देखी है , ना ही बाबरी को नज़दीक से महसूस किया है , ना ही इमरजेंसी देखी है | इस आवाम की सोच इन सब से स्वतंत्र है ,इसीलिए ये आवाम किसी का नहीं | ये काफी खुसनुमा है , खूबसूरत है और क्रांतिकारी है | साथ ही साथ परफॉर्म ऑर पेरिश का परिचालक भी है |
मुझे नहीं मालुम बर्नार्ड शॉ कितना सही था जब उसने ये कहा था
" IF fifty million people talk about stupidity , it still remains a talk of stupidity ."
या फिर दिल्ली सही है |
अब जो है सो है , दिल्ली ने अपना मुख्यमंत्री चुन लिया है , बेहतर होगा अरविन्द जी को मुख्यमंत्री ही माना जाए , मसीहा या भगवान नहीं |
जो भी हो , ये चुनाव इतना ऐतिहासिक तो जरूर था की एक ब्लॉग लिखा जा सके |
dekhtey hai, Keriwal 5 saal kya ukhaad lete hai...jab Namo ka asar feeka pad gya toh yeh toh Kejri hai saab.
ReplyDeleteaaj tak raj netaon ne kuchh ukhaada hai kya ? ye sab ek silsila ke raahi hain , dekhte jaaiye bus
Deletehaanji bus wohi dekhna hai kya kartey hai ModiKejriwal!!
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