पुराने रिश्तों को वक़्त निकाल कर सीया करो बाबा
इसी बहाने अपनी जवानी जिया करो बाबा ||
ये इतनी छोटी सी अँधेरी कोठरी है तेरी
कभी तो रश्मियों से आँखें मिला लिया करो बाबा ||
कर देंगे हम ये जमीन तेरे नाम पे
जब तक सांसें हैं , अदब से रोटी तो दिया करो बाबा ||
ये इश्क़ ये शायरी सब बेकार की बातें हैं
दो वक़्त रोटी मिले ; कुछ ऐसा किया करो बाबा ||
जब तक जिंदगी है , तकल्लुफ औ जंग जारी है
यूँ ही कभी दो बात पर , मुस्करा लिया करो बाबा ||
जो फ़िक्र को धुंए में उड़ा कर चलते हैं
कभी उनकी जी हुजूरी में भी जिया करो बाबा ||
कोई हर वक़्त तुम्हारे दर्द पे " कोई बात नहीं " कहे
किसी से इतनी भी उम्मीद न किया करो बाबा ||
ये इश्क़ है , यहाँ फकीरी की भी एक हद होती है किसी का इतना भी वक़्त न लिया करो बाबा ||
अभी तो जख्म की एक फेहरिश्त बाँकी है हर एक बात पे शराब न पिया करो बाबा ||
ये इश्क़ है , यहाँ फकीरी की भी एक हद होती है किसी का इतना भी वक़्त न लिया करो बाबा ||
अभी तो जख्म की एक फेहरिश्त बाँकी है हर एक बात पे शराब न पिया करो बाबा ||
waah :D
ReplyDeleteDhanyawaad janaab
DeleteGreat
ReplyDeleteThanks Satty
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