रुको ,ठहरो जरा
जरा दम तो लो |
गेस्ट हाउस का जो गार्ड है ;
कभी उसके सिरहाने की आधी टूटी कुर्सी पे बैठा करो |
मचलते हवाओं का रुख महसूस करो ;
वो सामने हाईवे पे दौड़ती जो जिंदगी है ;
कभी ठहाके लगा के हंसो उनपे |
वो भी तो सुनें
उनके लाचारी की कारस्तानियां ,
कितनी दूर पहुँच गयी है |
रुको ,ठहरो जरा
जरा दम तो लो |
दो एक खींचती साँसों का एहसास तो करो ;
अर्सों से किसी ने इनकी सुध नहीं ली है
एक चाय तक नहीं पूछा |
सुना है :
तुम्हारी एक नन्ही सी बेटी है
महीने भर से मिले नहीं तुम
सुना है
सोते जागते तुम्हारा नाम लेती है |
तुम्ही ने बताया था पिछली रात बियर पीते पीते
जब चिली और ब्राज़ील १-१ पे अटके थे |
और ये एक बात
शायद तुम्हें एहसास नहीं :
तुमने तीसरी बार दुहराया है
"मैं जब घर पे रहता हूँ ना अनुपम
सिगरेट की जरुरत ही नहीं पड़ती || "
रुको ,ठहरो जरा
जरा दम तो लो |
जरा दम तो लो |
गेस्ट हाउस का जो गार्ड है ;
कभी उसके सिरहाने की आधी टूटी कुर्सी पे बैठा करो |
मचलते हवाओं का रुख महसूस करो ;
वो सामने हाईवे पे दौड़ती जो जिंदगी है ;
कभी ठहाके लगा के हंसो उनपे |
वो भी तो सुनें
उनके लाचारी की कारस्तानियां ,
कितनी दूर पहुँच गयी है |
रुको ,ठहरो जरा
जरा दम तो लो |
दो एक खींचती साँसों का एहसास तो करो ;
अर्सों से किसी ने इनकी सुध नहीं ली है
एक चाय तक नहीं पूछा |
सुना है :
तुम्हारी एक नन्ही सी बेटी है
महीने भर से मिले नहीं तुम
सुना है
सोते जागते तुम्हारा नाम लेती है |
तुम्ही ने बताया था पिछली रात बियर पीते पीते
जब चिली और ब्राज़ील १-१ पे अटके थे |
और ये एक बात
शायद तुम्हें एहसास नहीं :
तुमने तीसरी बार दुहराया है
"मैं जब घर पे रहता हूँ ना अनुपम
सिगरेट की जरुरत ही नहीं पड़ती || "
रुको ,ठहरो जरा
जरा दम तो लो |
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