मैंने सोच रखा है
संवेदनाओं के सारे दरवाजे बंद करने का |
इस बार जब वो लड़की
चुप चुप सी सामने आएगी
मैं सोच रखा है : गले नहीं लगाउँगा ||
इसी बहाने जो उसके अश्क मेरे कंधे पे रिसते हैं
मैंने सोच रखा है :कंधों को और नहीं नहलाऊँगा ||
जो मेरी खामोशियों के फाहे में उसके जख्म छिपते हैं \
मैंने सोच रखा है ,
अब ये चुप्पी तोड़ूंगा :
मैंने सोच रखा है
अब उसके जेहन में एक बीज बोना है :
अफसोस नहीं ; आक्रोश का |
दीवारों पे मत्थे पटक पटक कर लड़ने का
अपनी लकीरों के वास्ते अपनों से झगड़ने का ||
दौर आ गया है पलट के वार करने का
अपने माथे की इज्जत अपने तरीके से तैयार करने का |
मैंने सोच रखा है
इस बार जो वो लड़की अपने जख्म ले कर आएगी
मरहम नहीं लगाने दूंगा ;
इस बार जख्म को जीना है
जख्म के जवाब में
एक बेहतर जख्म देना है ||
Adapted and inspired from Prasoon Joshi's इस बार नहीं
संवेदनाओं के सारे दरवाजे बंद करने का |
इस बार जब वो लड़की
चुप चुप सी सामने आएगी
मैं सोच रखा है : गले नहीं लगाउँगा ||
इसी बहाने जो उसके अश्क मेरे कंधे पे रिसते हैं
मैंने सोच रखा है :कंधों को और नहीं नहलाऊँगा ||
जो मेरी खामोशियों के फाहे में उसके जख्म छिपते हैं \
मैंने सोच रखा है ,
अब ये चुप्पी तोड़ूंगा :
मैंने सोच रखा है
अब उसके जेहन में एक बीज बोना है :
अफसोस नहीं ; आक्रोश का |
दीवारों पे मत्थे पटक पटक कर लड़ने का
अपनी लकीरों के वास्ते अपनों से झगड़ने का ||
दौर आ गया है पलट के वार करने का
अपने माथे की इज्जत अपने तरीके से तैयार करने का |
मैंने सोच रखा है
इस बार जो वो लड़की अपने जख्म ले कर आएगी
मरहम नहीं लगाने दूंगा ;
इस बार जख्म को जीना है
जख्म के जवाब में
एक बेहतर जख्म देना है ||
Adapted and inspired from Prasoon Joshi's इस बार नहीं
मैंने सोच रखा है
ReplyDeleteइस बार वो लड़की नहीं आएगी,मैं जाऊंगा
ज़ख्म न लगने दूंगा
इस बार दर्द मेरे मेहमान हैं
और मरहम मेरे अफ़साने,
मैंने ये सोच रखा है |
right , even this perspective is beautiful and more power ful
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