ये मेरी जिंदगी का सबसे खामोश दौर है |
न वो मंजर , ना वो सिलसिला
ना वो बातें , ना बातों में वो नजाकत
ना वो लफ्ज़ , ना वो अलंकार
जैसे मोतियों की तरह
बिखर गए हैं सब कुछ ........
किसी अस्पताल के फर्श पे
किसी मकान की चहारदीवारी में
जिसकी खिड़कियाँ सामने गार्डन में खुलती हो |
ये मेरी जिंदगी का सबसे खामोश दौर है |
शायद इसलिए
दर्द रास्ते तय कर कर आ रहा है मेरे पास
अश्क आँखों से उतर कर हलक पर अटक गए हैं
उनका हर एक जख्म मेरे दिल को खरोंचती जा रही है
शायद इसलिए
मुहब्बत पीछे छूट गया ; हम आगे निकल गए हैं |
वक़्त और सिलसिला के उस पार
जहाँ दर्द एक है
होठों पे रही सही मुस्कान भी एक है
चेहरे एक हैं , सिकन भी एक है
ये दौर मेरा नहीं है
मेरी जिंदगी का भी नहीं
अब ये हमारी जिंदगी का सबसे खामोश दौर है ||
न वो मंजर , ना वो सिलसिला
ना वो बातें , ना बातों में वो नजाकत
ना वो लफ्ज़ , ना वो अलंकार
जैसे मोतियों की तरह
बिखर गए हैं सब कुछ ........
किसी अस्पताल के फर्श पे
किसी मकान की चहारदीवारी में
जिसकी खिड़कियाँ सामने गार्डन में खुलती हो |
ये मेरी जिंदगी का सबसे खामोश दौर है |
शायद इसलिए
दर्द रास्ते तय कर कर आ रहा है मेरे पास
अश्क आँखों से उतर कर हलक पर अटक गए हैं
उनका हर एक जख्म मेरे दिल को खरोंचती जा रही है
शायद इसलिए
मुहब्बत पीछे छूट गया ; हम आगे निकल गए हैं |
वक़्त और सिलसिला के उस पार
जहाँ दर्द एक है
होठों पे रही सही मुस्कान भी एक है
चेहरे एक हैं , सिकन भी एक है
ये दौर मेरा नहीं है
मेरी जिंदगी का भी नहीं
अब ये हमारी जिंदगी का सबसे खामोश दौर है ||
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