किसी का पिता होना
एक जिम्मेदारी का होना है |
किसी का पुत्र होना
एक आबरू का होना है |
किसी का आशिक होना
मुहब्बत के ख़ुशनुमा लम्हों का होना है |
लेकिन किसी का चेतना हो जाना
उसके अस्तित्व का होना है |
तुम मेरी चेतना हो
ये भी एक रिश्ता है |
समाजशास्त्रियों के टाइपराइटर में अंकित हुआ नहीं
लेकिन है, सत्य है, शाश्वत है
उतना ही शाश्वत
जितना की जीवन, प्रकृति और बसंत |
तुम मेरी चेतना हो
तुम्हारे छावं तले चलता है
मेरा लफ्ज़ - मेरा सच और झूठ |
तुम्हारी स्याही से लिखी जाती है
निरीह उदास दौर में धुप्प अँधेरे जैसा नज़्म
ख़ुशनुमा हंसी के लम्हों में सवेरे जैसी कविता |
तुम मेरी चेतना हो
और इसीलिए
तुम्हारे सामने
मेरी मुस्कराहट - मुस्कराहट है
मेरा रुदन -रुदन है
मेरा होना - काया से परे
एक बेमांस सत्य का होना है |
तुम मेरी चेतना हो
और इसीलिए
तुम हो मेरे सीने में जलती आग
तुम हो मेरे आँखों की तरलता
तुम हो मेरे चेहरे का लावण्य
और मेरे गेसू का रंग भी |
और ये है मेरी कविता का
आखिरी पूर्ण विराम
जहाँ पे आके थम जाएंगे
समाजशास्त्रियों के टाइपराइटर से जन्मे सारे रिश्ते,
लेकिन तुम मेरी चेतना हो
मौत के पूर्णविराम से उन्मुक्त |
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