मेरे घर का स्विच बोर्ड
मेरे आते ही चल पड़ता है|
मेरे परछाइयों के साथ चलती है
एक दूधिया रौशनी
डाइनिंग हॉल की लाइट जल उठती है
कमरे के पंखे नाचने लगते हैं |
मेरे ठीक सामने वाले घर में
बिलकुल धुप्प अँधेरा है, आज भी |
उस घर की औरत
सारे लाइट, पंखे बंद कर
बालकनी में बैठी रहती है
एक चादर बिछा कर वहीँ सो जाती है
और
वक़्त होने पर
अपने मोबाइल की रौशनी में
अपने बालों को संवारती है |
फिर एक आदमी
जिसके दाएं कंधे पे
एक काले रंग का थैला होता है
घर का डोरबेल बजाता है |
वो औरत उठती है
लम्बे थम्हे हुए सांस की तरह टूटती है
घर का स्विच बोर्ड चलने लगता है
दीवार दूधिया सा हो जाता है
सारे पंखे दौड़ने लगते हैं
और
दरवाजा खुल जाता है |
इस शहर में बिजली कितनी महंगी है
इस शहर में औरत कितनी सस्ती है ||
मेरे आते ही चल पड़ता है|
मेरे परछाइयों के साथ चलती है
एक दूधिया रौशनी
डाइनिंग हॉल की लाइट जल उठती है
कमरे के पंखे नाचने लगते हैं |
मेरे ठीक सामने वाले घर में
बिलकुल धुप्प अँधेरा है, आज भी |
उस घर की औरत
सारे लाइट, पंखे बंद कर
बालकनी में बैठी रहती है
एक चादर बिछा कर वहीँ सो जाती है
और
वक़्त होने पर
अपने मोबाइल की रौशनी में
अपने बालों को संवारती है |
फिर एक आदमी
जिसके दाएं कंधे पे
एक काले रंग का थैला होता है
घर का डोरबेल बजाता है |
वो औरत उठती है
लम्बे थम्हे हुए सांस की तरह टूटती है
घर का स्विच बोर्ड चलने लगता है
दीवार दूधिया सा हो जाता है
सारे पंखे दौड़ने लगते हैं
और
दरवाजा खुल जाता है |
इस शहर में बिजली कितनी महंगी है
इस शहर में औरत कितनी सस्ती है ||
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