किसी ने फरमाइश भेजी है, ब्लॉग पे फोटो भी डाला करो (TCG Team). पूरा आसमान एक कॉर्पोरेट फर्म है साहब | और जो परियाँ हैं, जिनका जिक्र दादी - अम्मा के कहानियों में हुआ करता है, वो सब एक कॉर्पोरेट फर्म के एच आर हैं, सेक्रेटरी हैं, कंसलटेंट हैं| और चूँकि ये कलकत्ता का आसमान है, तो यहाँ चाय और कॉफ़ी ब्रेक तो होता ही है, सिगरेट ब्रेक भी होता है| कभी कभी सिगरेट ब्रेक में ये परियाँ अपने किसी सीनियर को सामने देख कर, अपनी आधी जली सिगरेट नीचे फेक देती हैं, जिसे हम और आप शुटिंग स्टार कहते हैं| कलकत्ता से एक नयी शुरुआत करते करते मुझे ऐसी ही कहानियां याद आती हैं आजकल| 20 साल अलग अलग शहरों में अलग अलग अट्टालिकाओं में दीवाने की तरह घूमते घूमते आखिर आज कोलकाता में आ कर ठहरा हूँ| अगर दिल्ली की पहचान उसके मेट्रो से है, मुंबई की पहचान उसके व्यस्तता से है तो कलकत्ता की पहचान उसके ठहराव से है| सरकारी कागजों पे नाम जरुर बदल गया है, लेकिन शाम की चौकड़ी, चाय पे ताश के पत्ते, और सिगरेट की आबोहवा आज भी उतनी ही है, जितना मैंने अपने इतिहास के टीचरों से सुना था...