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उसके पास सबकुछ था
रोटी थी, खोपड़ी थी
एक अच्छी खासी झोपड़ी थी
मुट्ठे भर बीड़ी थी
और सिलिंडर वाली सब्सिडी थी|
उसके पास सबकुछ था
घर था, जमीन था
महिंद्रा वाला ट्रेक्टर था
और थ्रेशर वाली मशीन थी |
फिर
जमीन प्यासी रहने लगी
मशीन प्यासी रहने लगी
प्यासा जमीन बिक गया
प्यासी मशीन नीलाम हो गयी |
तब जा के एक दिन
उसके खोपड़ी में एक ख़याल आया |
उसने गैस वाली सब्सिडी जला कर
मुठ्ठी वाली बीड़ी सुलगायी
फिर अपनी खोपड़ी जलायी
और साथ में पूरी झोपड़ी जलायी |
इतनी गर्मी में भी
इत्ती सर्दी थी कि
जब उसकी झोपड़ी जल रही थी
सारा बुंदेलखंड ताप रहा था ;
और अपना अपना कल नाप रहा था ||
2. "अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं"
डर लगता है
पटना के गाड़ियों को ओवरटेक करने में
जे अन यू (JNU) की लड़कियों से हैंड सेक करने में |
डर लगता है
नार्थ - ईस्ट की नन्ही आँखों में
सदियों से कायम ख़ौफ़ से
स्मार्ट फोन की स्मार्ट दुनिया के
स्मार्ट शो ऑफ से |
डर लगता है
कि कितनी जीपें आई - गयी
बुंदेलखंड सूखा का सूखा है
स्कीम के बैनर चमक रहे हैं फिर भी
झुग्गी वाला बच्चा भूखा है |
डर लगता है
मुंबई के बम ब्लास्ट से
यु पी बिहार के कास्ट से |
डर लगता है
कलकत्ता के फ्लाईओवर से
खाप पंचायत के आर्डर से |
डर लगता है साहब
फिर भी जिन्दा हैं |
डर लगता है कि कोई आवाज न उठ जाए कहीं से
"अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं" |
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