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Showing posts from February, 2015

बाबा

पुराने रिश्तों को वक़्त निकाल कर सीया करो बाबा इसी बहाने अपनी जवानी जिया करो बाबा || ये इतनी छोटी सी अँधेरी कोठरी है तेरी कभी तो रश्मियों से आँखें मिला लिया करो बाबा || कर देंगे हम ये जमीन तेरे नाम पे जब तक सांसें हैं , अदब से रोटी तो दिया करो बाबा || ये इश्क़ ये शायरी सब बेकार की बातें हैं दो वक़्त रोटी मिले ; कुछ ऐसा किया करो बाबा || जब तक जिंदगी है , तकल्लुफ औ जंग जारी है यूँ ही कभी दो बात पर , मुस्करा लिया करो बाबा || जो फ़िक्र को धुंए में उड़ा कर चलते हैं कभी उनकी जी हुजूरी में भी जिया करो बाबा || कोई हर वक़्त तुम्हारे दर्द पे " कोई बात नहीं " कहे किसी से इतनी भी उम्मीद  न किया करो बाबा || ये इश्क़ है , यहाँ फकीरी की भी एक हद होती है किसी का इतना भी वक़्त  न लिया करो बाबा || अभी तो जख्म की एक फेहरिश्त बाँकी है हर एक बात पे शराब  न पिया करो बाबा ||

डूबते सूरज को देखा है कभी |

setting sun By Sarang Yeola डूबते सूरज को देखा है कभी कितने खूबसूरत लगते हैं जब भी ये दिल उदास होता है | रश्मियों की आखिरी सांसें टूट रही हैं, रेशम के तांतों सी  उलझी खामोशियों का एक सिलसिला डूब रहा है | कुछ कुछ वैसा ही लगता हैं जैसा  पिछली बार लगा था जब बातों बातों में तुमने सीने से लगा लिया था | इश्क़ कुछ कुछ ऐसे ही उठता है अचानक इत्तेफ़ाक़ से : इश्क़ का कोई गवाह नहीं होता सिवाय "पोपकोर्न ट्रे और स्क्रीन पे चीखती सोनम कपूर....

DELHI , आपकीदिल्ली

सुना आपने एक माचिस तिल्ली को किसी ने चिंगारी दे दी । जल उठा। उन्होंने कहा "वक़्त दो वक़्त में phosphorous जलेगा, फिर काठी जलेगी , और फैसला आते  आते राख बचेगा ।" और आज मशाल बन के दौड़ रहा है वो दिल्ली के गलियारों में । अहंकारों के राख बिछे हैं सड़कों पे ।। सुबह सुबह मैंने भी काफी ट्वीट रीट्वीट का मज़ा लिया जैसे १.BJP को अपनी हार की अर्थी उठाने के लिए भी AAP से एक बंदा उधार मांगने की नौबत आ गयी है ॥ #आपस्वीप २. #AAPKiDilli once upon a time in mumbai का  डायलाग याद आता है |"हमारी पार्टी अगर राजनीती में आ गयी तो आपकी पार्टी कौड़ियों के भाव बिक जायेगी " ३.शाहनवाज़ हुसैन रॉक्स कुछ तो  मजबूरियां रही होगी यूं ही कोई बेवफा नहीं होता #आपकीदिल्ली जमाने के साथ राजनीती में भी काफी कुछ बदला है | इतना तो तय है , की दिल्ली वालों ने पूरे दिल से अरविन्द जी  को अपनाया है |तो लगे हाथ ,जो सारे पुराने जीन्स के कपड़े हैं , काट कर दो चार झोले आप भी सिलवा लीजिये | काफी कुछ आने वाला है , फ्री पानी , फ्री बिजली , फ्री वाई फाई और पता नहीं क्या कुछ | ये बात और है , की कुछ ह...

थैंक्यू ब्लॉग

थैंक्यू  ब्लॉग रिश्तों के बदलते समीकरण को समझते समझते इतना तो समझ आ गया है  की वो आदमी जिसको मैं जानता था , वो आदमी अब कहीं नहीं हैं | सोशल मीडिया ने काफी कुछ बेहतर कर दिया है | ट्विटर पे हैंडल चेंज कर के बर्थडे बॉय बना दो , तो 50 टेक्स्ट आ जाते हैं : काफी कुछ आ जाता हैं , अनजान इश्क़ , नयी उम्मीदें , सपनों को जीने की इजाजत और पता नहीं क्या क्या |मुझे मालुम नहीं , इसमें से कितने फॉर्मेलिटी के टेक्स्ट हैं , खैर पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले झूठा ही सही | हाँ , ये बात भी हैं फेसबुक पर बधाइयों का सैलाब काम हुआ हैं , फेसबुक वाले उतर कर व्हाट्सएप्प पे आ गए हैं ; व्हाट्सएप्प आपसी संवेदनाओं के अभिव्यक्ति का बेहतर माध्यम बन के उभरा हैं | लेटर वेटर का जमाना रहा नहीं ; सरप्राइज भी अमेज़न से आने लगे हैं | खैर जो भी हैं , उम्दा हैं , सेक्सी हैं और जितना हैं काफी हैं | धन्यवाद दोस्तों | हम एक दूसरे के उम्मीद के सफर में काम आएं , इससे बेहतर क्या हो सकता हैं ?