पुराने रिश्तों को वक़्त निकाल कर सीया करो बाबा इसी बहाने अपनी जवानी जिया करो बाबा || ये इतनी छोटी सी अँधेरी कोठरी है तेरी कभी तो रश्मियों से आँखें मिला लिया करो बाबा || कर देंगे हम ये जमीन तेरे नाम पे जब तक सांसें हैं , अदब से रोटी तो दिया करो बाबा || ये इश्क़ ये शायरी सब बेकार की बातें हैं दो वक़्त रोटी मिले ; कुछ ऐसा किया करो बाबा || जब तक जिंदगी है , तकल्लुफ औ जंग जारी है यूँ ही कभी दो बात पर , मुस्करा लिया करो बाबा || जो फ़िक्र को धुंए में उड़ा कर चलते हैं कभी उनकी जी हुजूरी में भी जिया करो बाबा || कोई हर वक़्त तुम्हारे दर्द पे " कोई बात नहीं " कहे किसी से इतनी भी उम्मीद न किया करो बाबा || ये इश्क़ है , यहाँ फकीरी की भी एक हद होती है किसी का इतना भी वक़्त न लिया करो बाबा || अभी तो जख्म की एक फेहरिश्त बाँकी है हर एक बात पे शराब न पिया करो बाबा ||
|शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर |