तमाम हैरत से तकते है
वो सब के सब
उसके साथी
जो उसके इर्द -गिर्द घूमते है |
सवाल करते है
"ये कैसी आदत है तुम्हारी ;
ये किस अफ़साने में जी रही हो ?
ये कैसा इश्क़ है तुम्हारा ;
क्षितिज को चूमने की तमन्ना ?
तुम्हें पता है , मुझे पता है
उसके लम्हों के चहल पहल में
कहीं तुम्हारा जिक्र नहीं है | "
" ये कैसी जुर्रत है तुम्हारी ;
ये किस अफ़साने में जी रही हो ?
फरमेट के कारिंदे को
कीट्स के लफ्ज़ समझा रही हो ?
कच्चे याददाश्त के उस शायर से
शबनम की उम्मीद करती हो ?
तुम्हें पता है , मुझे पता है
वो जो शख्स है ,
उस शख्सियत को ओढ़ने वाले
इश्क़ नहीं किया करते हैं | "
" देख लियो
तू डूबेगी एक दिन |
कोई उस जैसी ही मामूल शहजादी
तेरे कारिंदे को उठा ले जायेगी |"
..........................................................
और सब के चुप हो जाने के बाद
बड़े ही खुश्क और दबे हर्फ़ में
वो लड़की
बस इतना कह पाती
" रिस्क लेने में क्या जाता है ! "
bahot khoob janab..
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