कभी कभी शाम ऐसे भी ढलती है |
जलते कर्कटों से धुआ उठता है ;
क्षितिज से
मध्यम सा इक हवा उठता है ;
जागते सोते लम्हों में
दर्द का इक सिलसिला उठता है ;
फिर मरहम औ पट्टी लिये
ठंढा सा इक चंदा उठता है ||
फिर शुरु होता है :
आरोप - प्रत्यारोप का इक दौर |
टूटे - बिखरे तारों का इक काफिला |
बेनजीर मुहब्बत का बेनजीर सिलसिला |
दीवारों में दरारें ; दरारों में दीवारें |
बेइमान कवायदें , बेसाज इरायदें
और बेजॊर अफसानों का पन्ने भर का हिसाब ;
एक कशमकस
और कशमकस से जन्म लेता आंसुओं का एक सैलाब;
जो इस इमारती समाज के लिये आइने से कम नहीं ||
----------------
और इन् सब के बहुत बाद तुम आती हो|
एक नन्ही सी, प्यारी सी
ख्वाइश आती है ;
एक नन्हा सा प्यारा सा
एहसास आता है -
की शाम अभी भी ढलने को है |
जलते कर्कटों से धुआ उठता है ;
क्षितिज से
मध्यम सा इक हवा उठता है ;
जागते सोते लम्हों में
दर्द का इक सिलसिला उठता है ;
फिर मरहम औ पट्टी लिये
ठंढा सा इक चंदा उठता है ||
फिर शुरु होता है :
आरोप - प्रत्यारोप का इक दौर |
टूटे - बिखरे तारों का इक काफिला |
बेनजीर मुहब्बत का बेनजीर सिलसिला |
दीवारों में दरारें ; दरारों में दीवारें |
बेइमान कवायदें , बेसाज इरायदें
और बेजॊर अफसानों का पन्ने भर का हिसाब ;
एक कशमकस
और कशमकस से जन्म लेता आंसुओं का एक सैलाब;
जो इस इमारती समाज के लिये आइने से कम नहीं ||
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और इन् सब के बहुत बाद तुम आती हो|
एक नन्ही सी, प्यारी सी
ख्वाइश आती है ;
एक नन्हा सा प्यारा सा
एहसास आता है -
की शाम अभी भी ढलने को है |
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