आज कल
लहरों सा मौसम है ।
यादों के वास्ते
वक़्त कितना कम है।
कुछ लफ्ज जवां पे ;
आते आते से रह जाते हैं ।
उधेरबुन की खामोशियाँ
जाने क्या क्या कह जाते हैं।
कुछ कसमें हैं ,कुछ वादे हैं
कुछ बनते रिश्ते नाते हैं ।
लहरों सा मौसम है ।
यादों के वास्ते
वक़्त कितना कम है।
कुछ लफ्ज जवां पे ;
आते आते से रह जाते हैं ।
उधेरबुन की खामोशियाँ
जाने क्या क्या कह जाते हैं।
कुछ कसमें हैं ,कुछ वादे हैं
कुछ बनते रिश्ते नाते हैं ।
व्यस्त व्यस्त से लम्हों में
बंटती कटती रातें हैं ।
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करती हैं ;
जिंदगी आज कल
इतनी व्यस्त ना होती तो क्या होता !!
बंटती कटती रातें हैं ।
मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ये बातें करती हैं ;
जिंदगी आज कल
इतनी व्यस्त ना होती तो क्या होता !!
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