पिछले एक महीने में आई आई टी खड़गपुर से दो छात्रों के सुसाइड की खबर, खबर से कहीं ज्यादा उस एक सत्य की तलाश भी है जिसे हम आपने अर्सों से झुठला रखा है | लेकिन हर बार घूम फिर के सारा दोष संस्थान पे फेक देना भी उतना ठीक नहीं है | कभी कभी ये भी जरुरी है की हम अपना आत्मविश्लेषण करें - आखिर क्या कमी रह गयी जो हम एक लम्हे भर के आक्रोश को रोक नहीं पाए | एक छात्र का निर्माण घर से शुरू होता है, कॉलोनी वाले , आस पड़ोस वाले उसके इंस्पिरेशन बनते हैं और कहीं न कहीं सफलता की परिभाषा भी उसी दौड़ में गढ़ी जाती है | स्कूल आपका स्तम्भ है, कॉलेज उसपे पताका बांधता है | ऐसे में हर बात पे आई आई टी को सारा दोष देना भी तो ठीक नहीं | एक छात्र की हार में जितना जिम्मेदार कॉलेज है उतना ही उसका पिता भी, उसका परिवार भी, उसका समाज भी, उसका स्कूल भी | क्योंकि इनसब ने मिलकर तय किया था सफल होना , बुलंदियों को छूना, और जीतना का एक फ़र्ज़ी डेफिनिशन |
मौत कोई कविता नहीं है |
वो इस सदी का सबसे बेवक़ूफ़ शायर है
जिसने कह रखा है
"मौत तू एक कविता है |"
मौत कोई कविता नहीं है
कविता है - मौत के खिलाफ विद्रोह |
वो शायर मेरा हर दिल अजीज है
लेकिन ये मेरी कविता है -
अपने हर दिल अजीज के खिलाफ
विद्रोह की कविता ||
किसी पंखे से लटक जाना
किसी ट्रेन के सामने आ जाना
अपने नसों को खींच कर
अपनी खूँ में समा जाना
मौत नहीं होती
मौत की खबर मात्र होती है |
मौत इससे कहीं ज्यादा
खतरनाक और ख़लिश है |
मौत की शुरुआत
उस एक समाज की शुरुआत है
जिसने अपने बच्चे को
बस्ता ढोना तो सिखा दिया
रस्ता ढोना रह गया |
मौत का निर्माण
उस एक पिता का निर्माण है
जिसने नहीं सिखाया अपने बच्चे को
खौफ के खिलाफ विद्रोह |
मौत का सिलसिला
उस एक स्कूल का सिलसिला है
जहाँ की छोटी छोटी कोठरियों के
छोटे छोटे खिड़कियों पे परदे चढ़े हैं ;
और तितलियों को गिनने की उम्र में
खींचे जाते हैं
कागजों पे बेहिसाब
लंबे चौड़े उम्र से बढ़कर हिसाब |
औंधे मुँह जमीं पे गिरना
लबों का मिट्टी से सन जाना
दांत की चोट से
नीचले होठ की त्वचा का कटना
मौत नहीं होती |
मौत होती है
अपने ही ख़ून में
अपने पराजय की जंजीर का नज़र आना
और इसीलिए
मौत पर विजय का मतलब होता है -
एक ऐसे समाज का सृजन
जो समझाए रास्ते की खुश्बू;
एक ऐसे पिता का निर्माण
जो सिखाये पराजय के खिलाफ विद्रोह;
एक ऐसे स्कूल की नींव
जो सिखाये
मिट्टी - ख़ून से सने लबों का
जमीन से उठना
और बादलों को चूम लेना ||
वो इस सदी का सबसे बेवक़ूफ़ शायर है
जिसने कह रखा है
"मौत तू एक कविता है |"
मौत कोई कविता नहीं है
कविता है - मौत के खिलाफ विद्रोह |
वो शायर मेरा हर दिल अजीज है
लेकिन ये मेरी कविता है -
अपने हर दिल अजीज के खिलाफ
विद्रोह की कविता ||
किसी पंखे से लटक जाना
किसी ट्रेन के सामने आ जाना
अपने नसों को खींच कर
अपनी खूँ में समा जाना
मौत नहीं होती
मौत की खबर मात्र होती है |
मौत इससे कहीं ज्यादा
खतरनाक और ख़लिश है |
मौत की शुरुआत
उस एक समाज की शुरुआत है
जिसने अपने बच्चे को
बस्ता ढोना तो सिखा दिया
रस्ता ढोना रह गया |
मौत का निर्माण
उस एक पिता का निर्माण है
जिसने नहीं सिखाया अपने बच्चे को
खौफ के खिलाफ विद्रोह |
मौत का सिलसिला
उस एक स्कूल का सिलसिला है
जहाँ की छोटी छोटी कोठरियों के
छोटे छोटे खिड़कियों पे परदे चढ़े हैं ;
और तितलियों को गिनने की उम्र में
खींचे जाते हैं
कागजों पे बेहिसाब
लंबे चौड़े उम्र से बढ़कर हिसाब |
औंधे मुँह जमीं पे गिरना
लबों का मिट्टी से सन जाना
दांत की चोट से
नीचले होठ की त्वचा का कटना
मौत नहीं होती |
मौत होती है
अपने ही ख़ून में
अपने पराजय की जंजीर का नज़र आना
और इसीलिए
मौत पर विजय का मतलब होता है -
एक ऐसे समाज का सृजन
जो समझाए रास्ते की खुश्बू;
एक ऐसे पिता का निर्माण
जो सिखाये पराजय के खिलाफ विद्रोह;
एक ऐसे स्कूल की नींव
जो सिखाये
मिट्टी - ख़ून से सने लबों का
जमीन से उठना
और बादलों को चूम लेना ||
Comments
Post a Comment