मैं समय का एक कलंदर
एक मदारी मेरे अंदर
पीछे रेत का सफर
और आगे एक समंदर
अपने रंगों में डूब खोया
इत्ती सी मेरी चेतना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
रूठ जाना कब मना है ||
हम तेरे माकूल कारिंदे
चलते फिरते मुर्दे जिन्दे
डर है उच्छवास मेरा
क्रंदन मेरी आसना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
मुस्कराना कब मना है ||
हाथ की लकीर लेकर
हम चले थे एक सफर में
ख़्वाबों के फ़कीर बन कर
तुम मिले थे एक शहर में
खौफ को मुट्ठी में बाँधे
अब बस सरपट दौड़ना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
लड़खड़ाना कब मना है ||
हैं मुकम्मल दूरियां
शहर शहर के बीच में
हैं मुकम्मल खामोशियाँ
पहर पहर के बीच में
हमारे तुम्हारे बीच में
एक उम्र भर का सामना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
आँखें बिछाना कब मना है ||
एक मदारी मेरे अंदर
पीछे रेत का सफर
और आगे एक समंदर
अपने रंगों में डूब खोया
इत्ती सी मेरी चेतना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
रूठ जाना कब मना है ||
हम तेरे माकूल कारिंदे
चलते फिरते मुर्दे जिन्दे
डर है उच्छवास मेरा
क्रंदन मेरी आसना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
मुस्कराना कब मना है ||
हाथ की लकीर लेकर
हम चले थे एक सफर में
ख़्वाबों के फ़कीर बन कर
तुम मिले थे एक शहर में
खौफ को मुट्ठी में बाँधे
अब बस सरपट दौड़ना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
लड़खड़ाना कब मना है ||
हैं मुकम्मल दूरियां
शहर शहर के बीच में
हैं मुकम्मल खामोशियाँ
पहर पहर के बीच में
हमारे तुम्हारे बीच में
एक उम्र भर का सामना है |
पर मेरे मेहबूब तेरा
आँखें बिछाना कब मना है ||
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