रुह- ए- आबरू खून-ए-जां बयां करें कैसे
हम आपकी आरजू को ना करें कैसे ||
हर एक शक्ल शहर का पानी पानी है
हम एक माचिस जला कर धुआं करें कैसे ||
मिट्टी सारी खोद कर ईमारत खड़े कर दिए
हम इन जमीनों को गुलिस्तां करें कैसे ||
बेखुदी का रिश्ता है मेरी और वफाई का
यूँ ही एक बार फिर से वफ़ा करें कैसे ||
हम आपकी आरजू को ना करें कैसे ||
हर एक शक्ल शहर का पानी पानी है
हम एक माचिस जला कर धुआं करें कैसे ||
मिट्टी सारी खोद कर ईमारत खड़े कर दिए
हम इन जमीनों को गुलिस्तां करें कैसे ||
बेखुदी का रिश्ता है मेरी और वफाई का
यूँ ही एक बार फिर से वफ़ा करें कैसे ||
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