Though I wrote this poetry for one advertisement design competition .However later we decided to drop it due to use of some heavy weight words . It seems quite fitting today.
रुको नहीं ,चले चलो
ये क्षितिज भी तुम से है
ये धरा भी तुम से है
तुम में है अग्नि प्रखर
तुम में है प्रतिज्ञा स्वर
तुम से है तेरी रागिनी , तुम से है तेरी लेखनी
तुम से है तेरी प्रतिस्प्रधा , तुम से है तेरी रश्मियाँ |
रुको नहीं , खुद को अग्रसर करो |
बीजेपी के साथ , कुछ बेहतर करो |
रुको नहीं ,चले चलो
ये क्षितिज भी तुम से है
ये धरा भी तुम से है
तुम में है अग्नि प्रखर
तुम में है प्रतिज्ञा स्वर
तुम से है तेरी रागिनी , तुम से है तेरी लेखनी
तुम से है तेरी प्रतिस्प्रधा , तुम से है तेरी रश्मियाँ |
रुको नहीं , खुद को अग्रसर करो |
बीजेपी के साथ , कुछ बेहतर करो |
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