the balcony gulmohar |
ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है |
गुजरती तो जिंदगी है
वक़्त तो अरसों से ठहरा है :
दर्द में :
जो तुम्हारे सीने में बीतता है
तुम्हारी तन्हाईयों में संवरता है
तुम्हारी आंखों से झांकता है
तुम्हारे दूसरे घर में,
(जिसे तुम शौक़ से "द अदर होम" कहती हो )
आसमानी सफ़ेद दीवार पे
वाल क्लॉक की तरह ठहरा है |
ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है |
गुजरती तो जिंदगी है
वक़्त तो अरसों से ठहरा है :
ख़ामोशी में
जिसे मैंने अपने हंसी के पीछे छुपाये रखा है
और तुमने,
तकिये की तरह सीने में लगाये रखा है |
ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है |
ये तो चाँद है
एक टुकड़ा जो तुम्हारी छत से नज़र आता है
और दूसरा
मेरी खिड़कियों के शीशों से उतर कर
टेबल पे बैठ जाता है :कभी कभी तो बदतमीज़ी भी करता है||
ये लफ्ज़ है
तुम्हारे छोटे छोटे किस्सों का
जिसमें हकीकत को रौंद कर इश्क़ जीत जाता है |
ये तो मेरे बालकॉनी का गुलमोहर है
हर सुबह
मेरे दरवाजे को नॉक करता है
फिर एक झटके से
बिना इजाजत अंदर आ जाता है |
मेरे तस्सबुर के कैनवास पे
लकीरों की तरह उतर आता है \
लकीरें बोलती तो नहीं ;
खैर लबों को छू कर चली जाती है ||
वक़्त इन सबों में जीता है
वक़्त इन सबों में बिखरा है
.................
ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है |
गुजरते तो हम हैं
गुजरती तो तुम हो ||
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