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Showing posts from January, 2014

ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है |

the balcony gulmohar  ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | गुजरती तो जिंदगी है  वक़्त तो अरसों से ठहरा है : दर्द में : जो तुम्हारे सीने में बीतता है  तुम्हारी तन्हाईयों में संवरता है  तुम्हारी आंखों से झांकता है  तुम्हारे दूसरे घर में, (जिसे तुम शौक़ से "द अदर होम" कहती हो ) आसमानी सफ़ेद  दीवार पे  वाल क्लॉक की तरह ठहरा है | ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | गुजरती तो जिंदगी है  वक़्त तो अरसों से ठहरा है : ख़ामोशी में  जिसे मैंने  अपने हंसी के पीछे छुपाये रखा है  और तुमने, तकिये की तरह सीने में लगाये रखा है | ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | ये तो चाँद है  एक  टुकड़ा जो तुम्हारी छत से नज़र आता है  और दूसरा मेरी खिड़कियों के शीशों से  उतर कर  टेबल पे बैठ जाता है :कभी कभी तो बदतमीज़ी भी करता है|| ये लफ्ज़ है  तुम्हारे छोटे छोटे किस्सों का  जिसमें हकीकत को रौंद कर इश्क़ जीत जाता है | ये तो  मेरे बालकॉनी का गुलमोहर है  हर सुबह  मेरे दरवाजे को नॉक करता है  फिर ...

JAHRILI HAWA

Okey the climax poetry that I narrated tonight for the Drama : JAHRILI HAWA . While writing this poetry I drew inspiration from one writer who lost his son in bhopal tragedy on 3rd dec 1984. कोई वक़्त को मुठ्ठी में भींच कर ;पूछे तो सही आदि क्या है? अंत क्या है ? इस जहरीली हवा का | मैंने टूटते बिखरते गलियों में अश्कों का सैलाब देखा है | [क्या कभी मौत ने ऐसा  लिबास पहना था ? भींगी पलकों ने कभी ऐसी सदी देखी है ? तुमने देखी होगी फकत गंगा यमुना की धारा मैंने भोपाल में लाशों की नदी देखी है ||]** डूबते पलकों ने अश्कों को पिघलते देखा है मैंने मौत को नंगे पाऊँ  चलते देखा है | अब ये खतरा है तल्खियों का मजमा लगेगा ; लाशों की हेरा फेरी होगी ; ये तुम्हारा दर्द है ; या ख़ामोशी का एक टुकड़ा कारख़ानों की नाजायज पैदाइश या मेरी - तुम्हारी मिली जुली साजिश|| मैंने वक़्त को मुठ्ठी में भींच के पूछा है आदि क्या है? अंत क्या है ? इस जहरीली हवा का | ** This part of poem is taken from a daily newspaper published from Indore.

AN OPEN LETTER TO Mr Chief minister : Arvind Kejriwal

Respected sir  It has been years since Steve Jobs died , I was thinking to write an open letter via my blog .As this was the first time I read an open letter from a guy quoting " Dear Steve , please retire." I believe this is a new cool thing .And people , media persons , satirists and all crap of empty vessel people like me have written this to Rahul , to Tendulkar ,even to Godman like Asaram Bapu(pls don't read bapu ) and all those souls that ever made an appearance in media.I believe its a cool phenomena , an euphoria , submission of a writer's perspective which some times, if not expressed, kills within .  Respected sir  Never ever in the history  it has happened that people taking coffee with their girlfriend are discussing politics on tables of CCD. Today I saw four out of six tables in my proximity discussing you .I believe this is awesome and cool. I further believe this is a metamorphosis of time where educated elites of country for the first time are b...