the balcony gulmohar ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | गुजरती तो जिंदगी है वक़्त तो अरसों से ठहरा है : दर्द में : जो तुम्हारे सीने में बीतता है तुम्हारी तन्हाईयों में संवरता है तुम्हारी आंखों से झांकता है तुम्हारे दूसरे घर में, (जिसे तुम शौक़ से "द अदर होम" कहती हो ) आसमानी सफ़ेद दीवार पे वाल क्लॉक की तरह ठहरा है | ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | गुजरती तो जिंदगी है वक़्त तो अरसों से ठहरा है : ख़ामोशी में जिसे मैंने अपने हंसी के पीछे छुपाये रखा है और तुमने, तकिये की तरह सीने में लगाये रखा है | ये गलत है कि वक़्त गुजर जाता है | ये तो चाँद है एक टुकड़ा जो तुम्हारी छत से नज़र आता है और दूसरा मेरी खिड़कियों के शीशों से उतर कर टेबल पे बैठ जाता है :कभी कभी तो बदतमीज़ी भी करता है|| ये लफ्ज़ है तुम्हारे छोटे छोटे किस्सों का जिसमें हकीकत को रौंद कर इश्क़ जीत जाता है | ये तो मेरे बालकॉनी का गुलमोहर है हर सुबह मेरे दरवाजे को नॉक करता है फिर ...
|शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर |