'तुम खूबसूरत हो'
ये मैं तुम्हें तब तब कहूँगा
जब जब मेरा दिल करेगा ।
'तुम खूबसूरत हो'
मैं ये तुम्हें तब भी कहूँगा
जब जब तुम्हें जरुरत होगी ।
जब बिन मौसम बरसात होगी
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
जब शायरी की बात होगी
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
जब तुम्हारे चेहरे पे धूप आएगी
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
जब चलते चलते रुक जाओगी
चेहरे कुम्हला जाएँगे
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
तब जबकि शाम होगी
बत्तियां आधी बुझी होगी
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
तब जबकि रात होगी
सितारों की बारात होगी
मैं कहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
तुम सुनते सुनते ऊब जाओगी
लेकिन मैं कहता रहूँगा
'तुम खूबसूरत हो ।'
मुझे नहीं मालुम
तुम कितनी सच हो
कितनी परिकल्पना |
मुझे नहीं मालुम
तुममें कितना जमीन है
और कितना आसमां ।
मुझे नहीं मालुम
तुम हो कहाँ
और मैं हूँ कहाँ |
मुझे बस इतना मालुम है
की तुम खूबसूरत हो
और इस बात को
इतिहास में दर्ज करना
मेरी जिम्मेदारी है ।।
*नज़्म साराह के की पोएट्री " व्हेन लव अराइवेस " से प्रेरित जरूर है, बस फर्क इतना है की मेरी इस नज़्म का लक्ष्य इतिहास है, साराह की पोएट्री का लक्ष्य "प्रेम" था
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