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Showing posts from January, 2016

हम जब भी रोते हैं , शहर डूब जाता है

परिंदों का हम सा कोई खानदान नहीं रहता परिंदे बंटवारे पे उतर आते तो आसमान नहीं रहता || मैंने जिस नज़रिये से देखा था खबर अखबार में ऐसा कोई बयान नहीं रहता || वो जो रहते हैं, अँधेरे में चराग की तरह शहर में उनका देर तक निशान नहीं रहता || जिस अरमा से पैदा हुए, खेले कूदे बड़े हुए उम्र आने तलक कोई अरमान नहीं रहता || जिससे जुबानी मिली, दिलों में उतर आये मेरे घरौंदे में कोई  मेहमान नहीं रहता || वो जिसकी आरजू में , तेरी आरजू है जानां बाज़ार में ऐसा कोई सामान नहीं रहता || हम जब भी रोते  हैं , शहर डूब जाता है हमारे जख्मों से कोई अनजान नहीं रहता ||

A doctor and A poet

When I was down with cold and fever She came up with precautions and pills: 'What keeps us alive and what kills'. When she was broken, shattered lull abominably , I read her Tennyson and Shelley : "If winter comes, can Spring be far behind ?" and again and again "If winter comes, can Spring be far behind ?" She is a doctor I am a poet. She cures everything, everything and everything. I cure anything that she can't. But one day When a little prince came to her first and then me for a simple investigation of his life and agony "If Its love or not ? " She did all tests, yet denied to comment. I read all literature yet denied to conclude . God ! What can be the valour of that pain, Doctors can't treat, Poets can't sweeten. 

वजूद

मैंने जिंदगी के कतरे कतरे को मुठ्ठी भर तम्बाकू की तरह संभाला है , छाना है जरुरत अनुसार तुम्हारे अश्क का दीदार किया है , तुम्हारे लम्स की खुसबू मिलायी है और फिर बड़ी संजीदगी से सफ़ेद लिबास में संजोया है | तूने  एक माचिस जला कर मेरे वजूद को नेस्तनाबूद कर दी अब मैं तुझमें उतर गया हूँ फ़क़त  धुंआ सा रह गया हूँ ||