बस इसी तरह
सबों के सामने लड़ते रहे हम ;
और चुप चुप के
छुप छुप के आहें भरते रहे हम |
जीने को और क्या चाहिए ||
कोई नींद में ऐसे ही छम्म से आया करे ;
कोई अश्कों में खुद को मिला के रुलाया करे;
कोई उम्मीद से हम उनके रास्ते देखा करें
और वो आँख झुकाए ही गुजर जाया करे|
जीने को और क्या चाहिए ||
किसी के वास्ते सुरूर इतना दिल में जम जाए ;
की एक मुस्कराहट पर ही पिघल जाया करे |
कोई आइने में इस तरह से नज़र आने लगे
की सजे वो , और हम संवर जाया करें |
जीने को और क्या चाहिए ||
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<किसी की ख्वाइशओं पे ऐसे मरने लगे हम >
किसी के लफ़्ज़ों की इनायतों में
हर रात जगे हम ;
की फलक में जुल्फें ,
सितारों में आँखें ,नज़र आने लगे हैं |
और जो मौसमों की सायरी हमने बुनी थी ;
वही आज हमारे सिरहाने लगे हैं |
अब किस किस से करें शिकायत उनकी
हर चेहरे में वही नज़र आने लगे हैं ;
जो उम्र ढल गयी ;
इश्क से बेहतर हकीकत ढूंढने में :
अब हम भी मोहब्बत से ही काम चलाने लगे हैं||
अब बस इसी तरह
सबों के सामने लड़ते रहे हम ;
और चुप चुप के
छुप छुप के आहें भरते रहे हम ||
Great one :)
ReplyDeleteoh ..thanks for compliments...dude
Deletebhaiya.... FANTASTIC..!
ReplyDeletethank you.
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