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Showing posts from January, 2013

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों |

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों | चलो उस रास्ते को आखिरी सलाम कह दे हम , जहाँ से आशिकी और उम्र का सैलाब बहता था | चलो अब अपने वास्ते कोई अंजाम ढूंढे हम ; चलो किसी और चेहरे में  कोई पैगाम ढूंढे हम ; चलो किसी धुंध कोहरे में कोई मंजिल तलाशें हम ; चलो ,की अश्क से धो कर कोई ख्वाइश तराशें हम ; चलो, की आम नगरी में कोई सौगात ढूंढे हम ; चलो, की आम बातों में कोई नयी बात ढूंढे हम ; चलो, की बिछड़े रातों में कोई नयी रात ढूंढे हम : चलो ,की बेजार लफ़्ज़ों में  कोई मुलाकात ढूंढे हम : चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों | ...................................................................

ITS NOT THE END

Its not the end. that the destiny looses the address of my love; and the ageless letters of my age keeps on crying.             The end is that you have written every letters of your age  and the address gets lost in oblivion. Its not the end that the wreckless thorns of sociability puts you to bleed. The end is  that you bleeding legs stands still and there are no roads beyond . Its not the end  that for your body sans love you keep on stitching songs. The end is  that the thread of ideas  misses the stitching needle. good evening and a very happy new year.