आईने
june 21,2012
20:00
ये अँगुली में दबी जिंदगी मेरी
माचिस के सहारे जला भी गये ।ये पीने -पिलाने की आदत मेरी
हर घूँट में आँसू मिला भी गये ।
ये नब्जों की सिहरन,
धक् धक् सी धड़कन
हम जी भी गए ,घबरा भी गये।
ये यादों के साये में नापाक चेहरे
वो सर्दी के रातों के मौसम सुनहरे
वो बातों ही बातों में मिलते गए हम
हाथों में हाथ रख सिलते गए गम
वो गोदी में तेरे, रैन बसे रे
हम सो भी गये ,सुला भी गये ।
तुम मीत जो मन के बन से गये हो
गीत जो प्रीत के लब्जों से बंधे
हम गा भी गये , बलखा भी गये ।
दिल से दिल ये मिले या मिले ना
नैनों से नैना मिला भी गये ।
तुम आये ना आये हम आते रहेंगे
ये यादों के मोंम जलाते रहेंगे ।
हमको निकालोगे कब कब कहाँ से
हम साये हैं ,बरबस सताते रहेंगे ।
अब यादों में तेरे जश्न मना के
हम रो भी गये ,रुला भी गये ।
ये राहें जो बेसुध बेसुध सी हैं
ये शहर जो सुध बुध खो बैठी है
इस शहर ए मुहब्बत जताने की खातिर
हम संवर भी गये ,शरमा भी गये ।
आधे अधूरे ये शहर ये महफ़िल
आधे अधूरे अब हम रहते
छूटा जो दिल से साथ मेरा
हम क्या कहते ,क्यों कर कहते ।
इक लब्ज ना निकला होठों से
और आँखों में आँसू आ भी गये ।
सब जाम सजाये बैठे रहे
हम पी भी गये ,छलका भी गये ।
और घूँट जो उसमें बची रह गई
हम हाथों ही हाथ बढ़ा भी गये ।
ye pine pilane ki aadat aapki kab jaaayegi
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