mayankchoudhary's photography देखो रात ढलने को आई है। चांदनी.... चादरों सी बिछी ... देखो आज पिघलने को आई है। देखो रात ढलने को आई है । कहानी जो दो लब्जों में कभी ना कही जा सकी देखो आज छलने को आई है । देखो रात ढलने को आई है । _________________ तुम हाथ मिलाती हो हम गले लगाते हैं । तुम दरिया फैलाती हो हम डूबे जाते हैं । तुम आँख मिलाती हो हम आँखों में जीते हैं । तुम रोये जाती हो हम आंसू पीते हैं । तुम प्रणय के गीत गाती हो हम लब्ज़ बनातें हैं। तुम रुक सी जाती हो फिर भी हम आत...
|शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर |