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Showing posts from October, 2016

हंसी की पिंक पेंट

कुछ लोगों ने उसकी कलाई में चमकती घड़ी देखी रंग -ओ - रौनक में  परी देखी पैर में चांदनी पायल देखा चेहरे पे खिलता कमल देखा | मैंने उसे पूरी नज़र देखा उसका घर देखा , शहर देखा | उसके करीब बैठे बैठे उसको पूरा सफर देखा | और कुछ लोगों के नज़रों का उसके ऊपर कहर देखा मैं आपको बताता हूँ कुछ लोगों ने जो देखा कितना फर्जी देखा है | उसके एक पैर में  पायल है लेकिन  दूसरा घायल है | उसकी कलाई में जो घड़ी है सदियों से रुकी पड़ी है | होठों पे एक पुती मखमली है लेकिन पीठ पे सिगरेट जली  है | मैंने और भी  देखा है जो कुछ लोगों ने नहीं देखा | उसकी कत्थई सी साड़ी में रात की रानी जड़ी है | जैसे किसी बेबसी के दीवार पे हंसी की पिंक पेंट चढ़ी है ||