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Showing posts from August, 2014

मेहंदी

Pre-script :There is a common conception that darker the colour of mehandi , reflects the depth of love . जब कभी  इश्क़  में  सब कुछ ठीक नहीं चलता ; वो अपनी हथेलियों और पैरों में  मेहंदी लगा के बैठ जाती है | "देखते हैं  मुहब्बत कितना रंग लाती है |" ये एक बेनजीर टेस्ट ऑफ़ हाइपोथिसिस है ||

Weekend poetry : चेंज ऑफ़ टेस्ट , स्लिप ऑफ़ टंग & शालीनता का दुपट्टा

1. शालीनता का दुपट्टा   लबों पर खामोशियों के साये  नज़र में गुजारिश ,एक जिज्ञाषा की  जुबाँ पे कुछ कुछ कहने , कुछ कुछ सुनने  कुछ चुप रहने की आदत  और  कंधे पे शालीनता का दुपट्टा | असर हो रहा है हलके हलके  बदल रहे हैं शहरी हालत हलके हलके || #Presence  ................................................................................................................................. 2. स्लिप ऑफ़ टंग (slip of tongue) वो जब भी दो चार दोस्तों के साथ चलता है  मुद्दों की बातें करता है , और  बेफिक्र बातें करता है | आज बातें करते करते  अचानक चुप सा हो गया , किसी गुजरते मुसाफिर को  एक टक देखता रहा ....... ...खामोश  इस रोज़ रोज़ की ख़ामोशी में , कोई तसव्वुर तो नहीं पल रहा ? वो आने वाले एक मिनट तक  कुछ ख़ास बोला नहीं ; और जो बोला तो  "इश्किया" के बदले "इक्सिया" बोल गया | शायद स्लिप ऑफ़ टंग हो गया  ख़ामोशी ने जुबाँ पे अधिकार जमा रखा है ||  ..................................................................

Birthday Blog : GULZAR

It reminds me of old freshers days , we were three or may be four , including me .Lined up and asked to take a smoke , every one denied with an innocent excuse " I am sorry ,I don't "; and they were forced to take a sip . When it came to my turn , I didn't deny ,rather I changed the topic diplomatically , I said   "  मैं सिगरेट तो नहीं  पीता  मगर हर आने वाले से पूछ लेता हूँ कि "माचिस है?"  बहुत कुछ है जिसे  मैं  फूंक देना चाहता हूँ "   Hence I flipped the topic to a newer dimensions , point is they rather forgot to force me.  Happy Birthday Gulzar  and a short poem : तुम  और तुम्हारे दरियाओं के कांटे  तुम्हारे दीवारों पे उभरते स्केच  सारी बेचैन परछाइयाँ  तुम्हारे बोस्की ब्याहने का वक़्त  तुम्हारे सुर , तुम्हारी शहनाइयां  रातों के सन्नाटे  जुम्बिश , आहट , सरगोशियाँ  तुम्हारे जले बुझे अधकहे ख्यालों की  राख  एक खामोश  अपनापन है  हर एक पूर्णविराम में || तुम्...

Little little

Little little button eyes, little stupid little wise . Little cheesy choppy cheeks  little silken ,little sleeks. A little late pouring monsoon  on window slab , a little moon . To my little serious baritone  your little sweet slimy tune . A little stream of kissing zephyr Little humor and a little satire . A little cute caked name  in  little little glittering flame , And all that I can put from here  A little hope and a little cheer . Little wishes and little love  and like the little little morning dew a little dream and a little you. ........................................................................................................................................................

जिंदगी

जिंदगी कितनी बेपरवाह सी होती  जो न जश्न हो , न आरजू  न ख्वाइशें , न जुस्तजू  न जिस्म को जिस्म से कोई शिकायत होती  न कोई जहान की तलाश , न कोई जहन्नुम का खौफ  न कोई जंग , न कोई काफिला  न कोई हार जीत का सिलसिला  बेफ़िक्र से चलते हम और तुम  न आँखों में कोई दर्द होता  न चेहरे पे कोई जख्म  न कोई कसमकश का अफ़साना होता  न कोई बुलंदियों के किस्से  न कभी गिरते  न कभी उठते  सब चलते फिरते बुत होते  जिंदगी की तलाश में ||